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नई दिल्ली : चीन अपने नए छठे जेनरेशन के लड़ाकू विमानों का प्रदर्शन कर रहा है। दूसरी तरफ, पाकिस्तान को 40 J-35 स्टेल्थ फाइटर भी देने जा रहा है। इससे हवाई ताकत के मामले में पाकिस्तान को निश्चित तौर पर भारत पर काफी बढ़त मिल जाएगी क्योंकि हमारे पास फिलहाल एक भी स्टेल्थ फाइटर नहीं हैं।। भारत की बात करें तो इंडियन एयर फोर्स अभी भी चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की जरूरत पूरी करने में संघर्ष कर रही है। 1965 के बाद से लड़ाकू विमानों की संख्या अब तक के सबसे निचले स्तर पर है। इसके अलावा, अमेरिका और रूस जैसे प्रमुख रक्षा आपूर्तिकर्ताओं से आपूर्ति में देरी हो रही है। इससे भारत की युद्ध क्षमता कमजोर हो रही है। ये निश्चित तौर पर भारत की चिंता बढ़ाने वाली बात है। एयर फोर्स की क्षमता बढ़ाने पर फोकस वक्त की जरूरत है। इसके लिए तैयारी भी चल रही है लेकिन उसे रफ्तार देने की जरूरत होगी।
पाकिस्तान जल्द ही चीन से 40 J-35 स्टेल्थ फाइटर खरीदने जा रहा है। ये पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान हैं। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, पहली बार चीन किसी अन्य देश को पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान का निर्यात करने जा रहा है। फिलहाल, भारत के पास एक भी स्टेल्थ फाइटर जेट नहीं हैं और अपना एक मात्र स्वदेशी प्रोजेक्ट AMCA (अडवांस्ड मीडियम कॉम्बेट एयरक्राफ्ट) अभी कहीं 2028 में जाकर पहला प्रोटोटाइप विकसित कर पाएगा। स्टेल्थ फाइटर अत्याधुनिक तकनीकों से लैस वे लड़ाकू विमान होते हैं जो दुश्मन के रेडार में आए बिना ही अपना काम कर जाते हैं।
अमेरिका से 83 जेट इंजनों की सप्लाई में देरी
हमारे सहयोगी इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका से GE 404 जेट इंजनों की आपूर्ति में भारी देरी हुई है। इससे हमारे लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट (LCA Mk1a) कार्यक्रम को बड़ा झटका लगा है। यह कार्यक्रम पुराने MiG 21 लड़ाकू विमानों को बदलने के लिए था। 2021 में इन जेट विमानों के लिए 83 ऑर्डर दिए गए थे। इनकी डिलीवरी इस साल शुरू होनी थी। लेकिन अब इसे 2025 तक टाला जा रहा है। GE अपने सप्लाई चेन में और खासकर दक्षिण कोरिया में व्यवधानों के कारण जेट इंजन की आपूर्ति नहीं कर पा रहा है।
रूस से एस-400 की सप्लाई में भी देरी
रूस के साथ समस्या हवाई युद्ध के दूसरे पहलू एयर डिफेंस सिस्टम को लेकर है। भारत ने S400 लंबी दूरी की हवाई रक्षा प्रणालियों की पांच रेजिमेंट का ऑर्डर दिया था। सभी की डिलीवरी 2023 तक होनी थी, लेकिन अभी तक केवल तीन ही मिली हैं। बाकी दो कब मिलेंगी, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है। इंतजार 2026 तक बढ़ सकता है। दोनों देरी आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधानों के कारण हैं। हाल के वर्षों में रक्षा आपूर्तिकर्ताओं के लिए यह एक आम समस्या रही है। कोविड-19 संकट और रूस-यूक्रेन युद्ध और पश्चिम एशिया में संकट जैसे क्षेत्रीय संघर्षों का दोहरा असर पड़ा है।
स्वदेशी विकल्प पर चल रहा काम मगर रफ्तार है कछुए वाली
स्वदेशी विकल्प बनाना और एक मजबूत एयरो-डिफेंस इकोसिस्टम स्थापित करना आगे का रास्ता है। लेकिन हाल के वर्षों में चीजें धीमी गति से आगे बढ़ी हैं। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने LCA Mk1a का निर्माण शुरू कर दिया है। लेकिन Mk2 संस्करण और 'अडवांस्ड मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट' जैसे नए कार्यक्रम अभी भी प्रोटोटाइप उड़ान से वर्षों दूर हैं। वायु सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सीरियल उत्पादन तो बहुत दूर की बात है।
भारत के पास लड़ाकू विमान का इंजन बनाने की क्षमता ही नहीं
इसके अलावा भारत में एक अत्याधुनिक लड़ाकू जेट इंजन विकसित करने में असमर्थता भी एक समस्या है। यह इंजन अगली पीढ़ी के जेट विमानों को शक्ति प्रदान करेगा। एक इंजन डिजाइन चरण से ही एक लड़ाकू विमान के मूल में होता है। भारत कम से कम 110 kN शक्ति वाले इंजन को विकसित करने की महत्वाकांक्षी योजना के लिए एक विदेशी भागीदार का चयन नहीं कर पाया है। इंजन के सह-विकास के लिए फ्रांस का एक आकर्षक प्रस्ताव पिछले 8 वर्षों से ठंडे बस्ते में है। यूके का एक अन्य प्रस्ताव भी बिना किसी प्रगति के ठंडा पड़ा है।
भारत की क्या तैयारी?
रक्षा मंत्रालय में एक नई समिति का गठन किया गया है। इस समिति को इन मुद्दों और नए मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट और हवाई ईंधन भरने वालों की खरीद के तरीके जैसे अन्य मुद्दों को देखना है। समिति के सामने एक कठिन काम है। क्योंकि एक तरफ चीन तेजी से आगे बढ़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ भारत की हवाई क्षमता कमजोर हो रही है। यह चिंता का विषय बना हुआ है। भारत को अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए स्वदेशी क्षमताओं को मजबूत करने और विश्वसनीय भागीदारों के साथ सहयोग करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
पाकिस्तान खरीदने जा रहा 40 स्टेल्थ फाइटर जेटपाकिस्तान जल्द ही चीन से 40 J-35 स्टेल्थ फाइटर खरीदने जा रहा है। ये पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान हैं। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, पहली बार चीन किसी अन्य देश को पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान का निर्यात करने जा रहा है। फिलहाल, भारत के पास एक भी स्टेल्थ फाइटर जेट नहीं हैं और अपना एक मात्र स्वदेशी प्रोजेक्ट AMCA (अडवांस्ड मीडियम कॉम्बेट एयरक्राफ्ट) अभी कहीं 2028 में जाकर पहला प्रोटोटाइप विकसित कर पाएगा। स्टेल्थ फाइटर अत्याधुनिक तकनीकों से लैस वे लड़ाकू विमान होते हैं जो दुश्मन के रेडार में आए बिना ही अपना काम कर जाते हैं।
अमेरिका से 83 जेट इंजनों की सप्लाई में देरी
हमारे सहयोगी इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका से GE 404 जेट इंजनों की आपूर्ति में भारी देरी हुई है। इससे हमारे लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट (LCA Mk1a) कार्यक्रम को बड़ा झटका लगा है। यह कार्यक्रम पुराने MiG 21 लड़ाकू विमानों को बदलने के लिए था। 2021 में इन जेट विमानों के लिए 83 ऑर्डर दिए गए थे। इनकी डिलीवरी इस साल शुरू होनी थी। लेकिन अब इसे 2025 तक टाला जा रहा है। GE अपने सप्लाई चेन में और खासकर दक्षिण कोरिया में व्यवधानों के कारण जेट इंजन की आपूर्ति नहीं कर पा रहा है।
रूस से एस-400 की सप्लाई में भी देरी
रूस के साथ समस्या हवाई युद्ध के दूसरे पहलू एयर डिफेंस सिस्टम को लेकर है। भारत ने S400 लंबी दूरी की हवाई रक्षा प्रणालियों की पांच रेजिमेंट का ऑर्डर दिया था। सभी की डिलीवरी 2023 तक होनी थी, लेकिन अभी तक केवल तीन ही मिली हैं। बाकी दो कब मिलेंगी, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है। इंतजार 2026 तक बढ़ सकता है। दोनों देरी आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधानों के कारण हैं। हाल के वर्षों में रक्षा आपूर्तिकर्ताओं के लिए यह एक आम समस्या रही है। कोविड-19 संकट और रूस-यूक्रेन युद्ध और पश्चिम एशिया में संकट जैसे क्षेत्रीय संघर्षों का दोहरा असर पड़ा है।
स्वदेशी विकल्प पर चल रहा काम मगर रफ्तार है कछुए वाली
स्वदेशी विकल्प बनाना और एक मजबूत एयरो-डिफेंस इकोसिस्टम स्थापित करना आगे का रास्ता है। लेकिन हाल के वर्षों में चीजें धीमी गति से आगे बढ़ी हैं। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने LCA Mk1a का निर्माण शुरू कर दिया है। लेकिन Mk2 संस्करण और 'अडवांस्ड मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट' जैसे नए कार्यक्रम अभी भी प्रोटोटाइप उड़ान से वर्षों दूर हैं। वायु सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सीरियल उत्पादन तो बहुत दूर की बात है।
भारत के पास लड़ाकू विमान का इंजन बनाने की क्षमता ही नहीं
इसके अलावा भारत में एक अत्याधुनिक लड़ाकू जेट इंजन विकसित करने में असमर्थता भी एक समस्या है। यह इंजन अगली पीढ़ी के जेट विमानों को शक्ति प्रदान करेगा। एक इंजन डिजाइन चरण से ही एक लड़ाकू विमान के मूल में होता है। भारत कम से कम 110 kN शक्ति वाले इंजन को विकसित करने की महत्वाकांक्षी योजना के लिए एक विदेशी भागीदार का चयन नहीं कर पाया है। इंजन के सह-विकास के लिए फ्रांस का एक आकर्षक प्रस्ताव पिछले 8 वर्षों से ठंडे बस्ते में है। यूके का एक अन्य प्रस्ताव भी बिना किसी प्रगति के ठंडा पड़ा है।
भारत की क्या तैयारी?
रक्षा मंत्रालय में एक नई समिति का गठन किया गया है। इस समिति को इन मुद्दों और नए मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट और हवाई ईंधन भरने वालों की खरीद के तरीके जैसे अन्य मुद्दों को देखना है। समिति के सामने एक कठिन काम है। क्योंकि एक तरफ चीन तेजी से आगे बढ़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ भारत की हवाई क्षमता कमजोर हो रही है। यह चिंता का विषय बना हुआ है। भारत को अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए स्वदेशी क्षमताओं को मजबूत करने और विश्वसनीय भागीदारों के साथ सहयोग करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
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